Niua

हिन्दी परियोजना विवरण

ट्रांसफॉर्मेटिव क्लाइमेट एक्शन युसिंग पार्टिसिपेटरी डाटा ड्रिवन डिसिशन मेकिंग प्लेटफार्म (टी. -सी.ए.पी.)


ग्राहक/वित्तपोषक: अंतर्राष्ट्रीय जलवायु पहल (आई के आई)

अवधि: 3 वर्ष

प्रारंभ:  07-2022


परियोजना वेब लिंक:  https://www.international-climate-initiative.com/en/project/transformative-climate-action-using-participatory-data-driven-decision-making-platforms-t-cap-img2021-i-019-ind-t-cap/

परियोजना स्थल:विशाखापत्तनम, आंध्र प्रदेश

परियोजना प्रमुख: 





परियोजना का उद्देश्य नगर प्रबंधकों को विभिन्न हितधारकों के साथ प्रभावी ढंग से सहयोग करने, विश्लेषण करने और जानकारी साझा करने में मदद करना है जो भागीदारी जलवायु कार्यों में सहायक हों और उसे कार्यान्वत कर सकें। इसका उद्देश्य डाटा-संचालित निर्णय लेने के लिए विज्ञान-आधारित भागीदारी नियोजन ढांचा तैयार करना है जो पूरे विश्व में शहरों को प्रेरित कर सके। यह कार्य अनुसंधान पहल राष्ट्रीय नगर कार्य संस्थान (रा.न.का.सं.) में शहरों के जलवायु केंद्रों, संयुक्त राष्ट्र विश्वविद्यालय, बॉन, जर्मनी के पर्यावरण और मानव सुरक्षा संस्थान (यू.एन.यू.ई.एच.एस.) तथा ऊर्जा और संसाधन संस्थान (द एनर्जी एंड रिसोर्सेज इंस्टीट्यूट) (टेरी), नई दिल्ली के बीच सहयोग है। परियोजना के लिए वितपोषण जर्मनी के फेडरल मिनिस्ट्री आफ इकोनॉमिक क्लाइमेट एक्शन (बी.एम.डब्ल्यू.के.) के तहत 'अंतर्राष्ट्रीय जलवायु पहल (आई.के.आई.)' से होता है।.

उद्देश्य:परियोजना का उद्देश्य सहयोगात्मक और परिवर्तनीय जलवायु कार्यों के लिए स्थानीय कार्यकर्ताओं (शहरी स्थानीय नगर निकाय सहित) की क्षमता को बढ़ाना है। परियोजना की मुख्य उपलब्धि जिसकी अवधारणा की गयी है, भारत के शहर विशाखापत्तनम में जलवायु कार्रवाई पर सहयोगात्मक डाटा-संचालित निर्णय लेने के लिए लक्षित समूहों की क्षमता में वृद्धि करना है, जिससे भविष्य में अन्य भारतीय शहरों को अवधारणा का प्रमाण मिलेगा।

उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए, परियोजना में निम्न कार्य किए जाएंगे:

1. जलवायु ज्ञान और भागीदारी को प्रासंगिक बनाना: मंशा यह है कि वैश्विक जलवायु विज्ञान और भागीदारी डाटा मंचों को स्थानीय जरूरतों के अनुसार प्रासंगिक बनाया जाए;

2. क्षमता सुदृढ़न:परियोजना का उद्देश्य डाटा-संचालित भागीदारी नियोजना ढांचे के सह-सृजन को सुनिश्चित करने के लिए लक्षित समूहों के साथ मिलकर काम करना, सहयोग को बढ़ावा देना है ताकि इसका कुशलतापूर्वक और सतत उपयोग किया जा सके। यह संयुक्त प्रयास को केवल लक्षित समूहों के लाभार्थ ही डिजाइन नहीं किया गया है, बल्कि भावी जरूरतों के लिए रूपरेखा को प्रासंगिक बनाने में अन्य हितधारकों की सहायतार्थ भी बनाया गया है।

3.एस.आर.यू. में एक जीवंत नगर प्रयोगशाला(अर्बन लिविंग लैब) की स्थापना करना : भागीदारी जलवायु कार्रवाई को सुदृढ़ बनाने के लिए आई.सी.सी.सी./सी.ओ.सी. के उपयोग के लिए अवधारणा का प्रमाण स्थापित करने हेतु अर्बन लिविंग लैब दृष्टिकोण का उपयोग किया जाएगा। यू.एल.एल.“एक ऐसी सह- अभिनव सेटिंग की व्यवस्था करता है, जिसमें कई हितधारक संयुक्त रूप से महानगरीय समाधान”. विकसित कर परीक्षण करते हैं। यू.एल.एल. के तौर-तरीके और प्रयोजन तथा संचालित किए जाने वाले प्रयुक्त मामलों का परिणाम अत्यधिक सुभेद्य समूहों सहित सभी संबंधित हितधारकों द्वारा जरूरत के अनुसार किए गए आकलन तथा श्रृंखलाबद्ध प्रभाव विश्लेषण से निकाला जाएगा।.

4. प्रकाशस्तंभ: मानसा यह है कि विशाखापत्तनम को एक पथप्रदर्शक के रूप में लेकर इसके प्रदर्शन तथा अनुभवों और सीख को साझा करके अन्य भारतीय शहरों को प्रेरित किया जाए और यह पड़ताल की जाए कि इसे केसे अनुकूल बनाया जा सकता है और विभिन्न संदर्भों में कैसे मापा जा सकता है।.

नोट: आई के आई स्वतंत्र शिकायत तंत्र (आई.सी.एम.): आई.के.आई. परियोजनाओं से संबंधित मामलों के समाधान के लिए विश्वभर में काम कर रहा है. यदि आप एक हितधारक हैं और इस परियोजना का आप पर विपरीत प्रभाव पद है, तो आप अपनी शिकायतhttps://www.international-climate- initiative.com/en/about-iki/values-responsibility/independent-complaint-mechanism/how-to- file-a-complaint पर दर्ज कर सकते हैं।/

Satrupa Roy Program Associate (Knowledge Management)