पिछले कुछ दशकों से, स्थान-विशिष्ट मुद्दों को संबोधित करने और उसी क्षेत्र में बड़े लैंडफिल क्षेत्रों में निर्माण को सक्षम करने के लिए वैज्ञानिक लैंडफिल प्रबंधन को विश्व भर में लागू किया गया है। भारत में अवैज्ञानिक डिजाइन और कचरे के अंधाधुंध निपटान के कारण लैंडफिल कई खतरे पैदा करते हैं। भारत का लगभग 72% कचरा अनुपचारित रहता है, वैज्ञानिक लैंडफिल संचालन, उपलब्धता और प्रबंधन शहरी भारत के लिए उचित अपशिष्ट निपटान सुनिश्चित करने के उपाय हैं। स्वच्छ भारत मिशन (एस.बी.एम.) के अनुरूप, रा.न.का.सं. अपनी काउंटरमेज़र II परियोजना के तहत यू.एन.ई.पी. के सहयोग से, प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन के ज्ञान में सुधार करने और 'वैज्ञानिक लैंडफिल उपलब्धता और संचालन' तथा वैज्ञानिक लैंडफिल उपचार' सुनिश्चित करने के लिए शहरी स्थानीय निकायों के अधिकारियों के लिए ऑनलाइन प्रशिक्षण सत्र विकसित करेगा। प्रशिक्षण का उद्देश्य उन्हें उनकी स्थिति की बेहतर समझ के लिए डेटा संग्रह, प्रबंधन और विज़ुअलाइज़ेशन में सक्षम बनाना है। यह प्रशिक्षण संभावित भावी कार्यों के लिए यू.एल.बी. को मार्गदर्शन प्रदान करेगा, जिसे शहर में वैज्ञानिक लैंडफिल उपलब्धता, संचालन और लैंडफिल वैज्ञानिक उपचार सुनिश्चित करने के लिए प्लास्टिक कचरे को हटाने की प्रथा में सुधार तथा मार्गदर्शन प्रदान करने के लिए लिया जा सकता है। क्लाइमेटस्मार्ट सिटीज़ असेसमेंट फ्रेमवर्क (सी.एस.सी.ए.एफ. 2.0) के तहत दो संकेतक, 'वैज्ञानिक लैंडफिल उपलब्धता और संचालन' और 'लैंडफिल वैज्ञानिक उपचार', यह आकलन करते हैं कि (i) यू.एल.बी. की लैंडफिल स्थलीय प्रकृति वैज्ञानिक/योजनाबद्ध है अथवा एस.डब्ल्यू.एम. 2016 नियम और प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन नियम 2016 के अनुसार है तथा (ii) क्या ये संकेतक वैज्ञानिक रूप से प्रबंधन करने के लिए शहर की तत्परता या लैंडफिल को ठीक करने के लिए किए गए प्रयासों का मूल्यांकन करने पर ध्यान केंद्रित करते हैं। स्वच्छ सर्वेक्षण 2020 की धारा 2.7 और 2.8 के अनुरूप, इन संकेतकों का ध्यान संग्रहण योग्य प्लास्टिक कचरे की मात्रा पर है, जिसका उपयोग लैंडफिल में किया जा रहा है और क्या लैंडफिल का प्रबंधन, संचालन और उपचार एसबीएम दिशानिर्देशों के अनुसार है।
Vaishnavi Thirumala Gowri Shankar Lead