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रा.न.का.सं. स्टोरीबोर्ड

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डेटा और समाधान

प्रभावी ढंग से मुद्ददों का ‘समाधान’ करने और सतत विकास के लक्ष्यों को साकार करने में अग्रणी बनने के लिए शहरों के लिए अत्याधुनिक अनुसंधान और विश्लेषण की सुविधा देना:

रा.न.का.सं. अपने अनुसंधान और परियोजनाओं के माध्यम से देश में सतत शहरी विकास को गति देने के लिए अव्यवस्थित विचारों को बढ़़ावा देता है। कई भारतीय शहरों ने विशिष्ट शहरी मुद्ददों को हल किया है जिन्हें भारत द्वारा अनुमोदित वैश्विक एजेंडा (जैसे जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के लिए तत्परता ) को प्राप्त करने के लिए शहर-स्तरीय कार्रवाई के महत्व को समझने के लिए प्रलेखित किया जाना चाहिए। रा.न.का.सं. ज्ञान एकत्रीकरण, अनुसंधान, विश्लेषण और स्पष्ट रोडमैप के माध्यम से विचार, कार्यनीति और कार्रवाई के बीच गठबंधन करने में शहरों का समर्थन करता है, जो निम्न-कार्बन, जलवायु-अनुकूल, संसाधन-कुशल और लचीले शहरी भविष्य में परिवर्तन को गति देने के लिए डिज़़ाइन किया गया है। हमारे ज्ञान उत्पादों, शोध पत्रों और परियोजना-आधारित शिक्षाओं में लचीलापन और योजना ढांचे और नदी प्रबंधन को शामिल करने से लेकर शहरी मुद्ददों की एक श्रुंखला शामिल है। हमने धरोहर प्रबंधन, स्थानीयकरण एसडीजी, और सुलभ और सुरक्षित शहरों जैसे क्षेत्रों में सर्वोत्तम प्रथाओं और सलाहों का सार-संग्रह प्रकाशित किया है। रा.न.का.सं. नीति अनुसंधान और डेटा विश्लेषण भी करता है - कुछ उदाहरणों में पीडबल्यूडी 1 दृष्टिकोण से शहरी सांख्यिकी की हैंडबुक, टीओडी2 के लिए लैण्ड वैल्यु कैप्चर और क्षमता विकास की प्रभावशीलता को समझना आदि शामिल हैं। हमारा शोध हमारी वेबसाइट 3 और स्मार्टनेट 4 पर ओपन एक्सेस के रूप में उपलब्ध है। रा.न.का.सं. की पत्रिकाओं ‘अर्बन इंडिया’ और ‘एनवायरमेंट एंड अर्बनाइजेशन - एशिया’ के माध्यम से, हम शहरी शोधकर्ताओं को भारत और एशिया में उभर रहे जांच के क्षेत्रों पर लिखने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।

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योजना

शहरों को प्रदर्शन का आकलन करने, प्राथमिकताओं की पहचान करने और कार्यनीतियों को फिर से तैयार करने में सक्षम बनाने के लिए मांग-संचालित दिशानिर्देश, मूल्याकंन ढांचे, मानकों और टेम्पलेट्स का विकास करना:

यह विचार यूएलबी में परिवर्तन लाने के लिए उन्हें उपकरणों के साथ सशक्त बनाने का है। जैसा कि अधिकांश क्षेत्र अधिकारी वास्तविक हकीकत से परिचित हैं, उनके लिए समाधान अधिक महत्वपूर्ण हैं। हम एक साझा दृष्टिकोण बनाने के लिए मांग-संचालित तकनीकी कौशल वृद्धि और निरंतर और इंटेरैक्टिव क्षेत्रीय मूल्यांकन प्रदान कर रहे हैं। इससे शहरों के बीच आत्म-चिंतन, पाठ्यक्रम सुधार और स्वस्थ प्रतिस्पर्धा का वातावरण बनाने में मदद मिलेगी। रा.न.का.सं. का दृढ़ विश्वास है कि प्रारंभिक स्वीकृति और स्थानीय परिवर्तन के लिए ऐसे उपकरणों के लिए स्थानीय खरीद और आम सहमति आवश्यक है। लंबे समय में , इस तरह के उपकरणों और मानकों का सार्वभौमिक उपयोग करके विभिन्न सरकारी और सेवा प्रदान करनेवाली एजेंसियो के बीच प्रभावी समन्वय सुनिश्चित किया जा सकता है। हम आशा करते हैं कि एक आम भाषा शहर, राज्य और देश स्तर पर प्रदर्शन स्तरों और डेटा को आत्मसात करने और तुलना करने में मदद करेगी। रा.न.का.सं. क्लाइमेट स्मार्ट सिटीज़ असेस्मेंट फ्रेमवर्क (सीएससीएएफ) विकसित किया है जिसे पूरे भारत के 126 शहरों द्वारा अपनाया गया है। हम इसे शहरी परिणाम रूपरेखा के हिस्से के रूप में शामिल करने की योजना बना रहें हैं। जो 400 से अधिक डेटा बिंदुओं को कवर करता है और विभिन्न क्रॉस-कटिंग परिणामों पर प्रगति को ट्रैक करता है। एक तकनीकी साझेदार के रूप में रा.न.का.सं. का एक और महत्वपूर्ण योगदान केंद्र सरकार के सामंजस्यपूर्ण दिशानिर्देशों और सार्वभौमिक सुलभता के मानकों में संशोधन था ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि दिव्यांग व्यक्तियों बुजुर्गो, महिलाओं, बच्चों आदि की व्यापक सुलभताओं की आवश्यकताओं को ध्यान में रखा जाए।

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विस्तार

डेटा-संचालित शासन और सेवा वितरण सुनिश्चित करने के लिए नवाचार और प्रौद्योगिकी का लाभ उठाना जो संसाधन कुशल और लागत प्रभावी है:

हमें लगता है कि प्रौद्योगिकी में जटिल शहरी डेटा को सरल बनाने और वांछित शहरी परिवर्तन बनाने के लिए इसके उपयोग का पता लगाने की शक्ति है। इसे कई लेंसो के माध्यम से शहरीकरण को समझने के लिए उपयोग किया जा सकता है। डेटा निर्णय निर्माताओं को प्रेरित करने और विघटनकारी और परिवर्तनकारी विचारों को बढ़़ावा देने का एक शक्तिशाली साधन है। प्रत्येक हाथ में मोबाइल फोन के साथ, व्यवसायियों, नीति निर्माताओं, शहरी प्रबंधकों और निर्णयकर्ताओं को सेवा वितरण में सुधार करने और साक्ष्य –आधारित नीतियों और परियोजनाओं को तैयार करने के लिए प्रौद्योगिकी और डेटा के साथ सक्षम बनाया जा सकता है। रा.न.का.सं. बड़़े पैमाने पर बुद्धिमान, समावेशी और सतत शहरी विकास प्रदान करने के लिए शहरी हितधारकों के लिए एक डेटा स्मार्ट पारिस्थितिकी तंत्र बनाने की दिशा में योगदान दे रहा है। हमारे प्रयासों में डिजिटल ढाँचे और प्लेटफ़ार्म विकसित करना शामिल है जो व्यवसाय करने में समग्र आसानी को बढ़़ाते हैं और नागरिकों को अपने शहरों के साथ अधिक सूचित तरीके से बातचीत करने की अनुमति देते हैं। रा.न.का.सं. को राष्ट्रीय शहरी डिजिटल मिशन को अपने तीन प्रमुख स्तंभो लोगों, प्रक्रियाओं और प्लेटफ़ार्म के साथ चलाने, हितधारकों को सक्षम और सशक्त बनाने, मानकों और रूपरेखाओं के माध्यम से शासन में सुधार करने और सभी के लिए जीवन की गुणवत्ता में सुधार करने के लिए प्रौद्योगिकी का लाभ उठाने पर गर्व है। देश भर में एक आम भाषा विकसित करने के लिए यूपीवाईओजी (UPYOG) प्लेटफ़ार्म पर शहरों के लिए नौ मानकीकृत मॉड्यूल उपलब्ध हैं। इनमें संपत्ति कर मूल्याकंन और भुगतान, भवन योजना अनुमोदन, नगरपालिका शिकायत और निवारण आदि शामिल हैं। हमारे काम का एक अन्य उदाहरण सीडीओटी है, एक व्यापक डेटा अनुभव और भंडार के साथ हमारी जलवायु डेटा ऑबसर्वेटरी जो सीओपी26 के तहत जलवायु प्रतिज्ञाओं का अध्ययन करने के लिए कई डेटासेट को संयोजित करने की अनुमति देती है।

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परियोजनाएँ

कुशल और सुलभ शहर सेवाओं के लिए कार्यनीतिक और गतिशील शहर नियोजन ढांचे और पारिस्थथितिक तंत्र आधारित एकीकृत दृष्टिकोण लागू करना:

हमने कार्यनीतिक, गतिशील और साक्ष्य-आधारित के रूप में नियोजन ढांचे को पुननिर्मित करके एक नया नियोजन प्रतिमान बनाने का प्रयास किया है। सेवाओं के लिए इको-सिस्टम दृष्टिकोण को प्रोत्ससाहित करने, अतिरेक को कम करने और कई सेवा प्रदान करने वाली एजेंसियों के प्रयासों को अभिसरण करने के लिए शहर के लिए व्यापक योजना भी आवश्यक है। नियोजन को सतत और समावेशी विकास सुनिश्चित करने के साथ-साथ मजबूत आर्थिक विकास और बेहतर रहने की क्षमता की आवश्यकता का जवाब देना है। इसके अतिरिक्त, योजनाओं को जलवायु परिवर्तन के प्रभाव और समावेशी विकास जैसे क्रॉस कटिंग पहलुओं को संबोधित करना होगा। दिल्ली के अगले मास्टर प्लान को तैयार करनेवाली एजेंसी के रूप में, हमने प्रक्रिया को और अधिक सहभागी बनाने के लिए फिर से डिज़़ाइन किया और शहर के भविष्य के विकास के लिए एक कार्यनीतिक और सक्षम साधन के रूप में योजना को फिर से शुरू किया। साथ ही, हमने परिणाम उन्मुख और गतिशील शहर योजना का एक ब्लू प्रिंट तैयार किया और कार्यनीतिक योजना ढांचे के सिद्धांतो को तैयार किया जिसका उपयोग पूरे भारत के शहरों द्वारा किया जा सकता है। दिल्ली के लिए मास्टर प्लान (2041) का मसौदा रा.न.का.सं. द्वारा पूरा किया गया था और इस साल जून में जनता के सदस्यों से सुझाव प्राप्त करने के लिए अधिसूचित किया गया था। हम बरेली, मुरादाबाद और कानपुर के लिए नदी प्रबंधन योजनाएँ भी तैयार कर रहे हैं ताकि यह प्रदर्शित किया जा सके कि नदियों को शहर की योजनाओं के साथ बेहतर तरीके से कैसे जोड़़ा जा सकता है। हमने दिल्ली में इन-सीटू स्लम पूनवार्स के लिए नीति की समीक्षा और संशोधन भी किया और कोच्चि के लिए जलवायु जोखिम और लचीलापन का आकलन किया। एक और पहल सस्टेनेबल एण्ड हेल्दी सिटीज एण्ड नेबरहुडस पर एशिया और अफ्रीका के बीच तुलनात्मक अध्ययन करना एक अन्य पहल है।

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क्षमता निर्माण

शासन और वित्तपोषण को अधिक प्रभावी बनाने के लिए व्यक्तिगत और संस्थागत क्षमताओं की निरंतर और अनुकूलित वृद्धि के लिए क्षमता ग्रिड और ज्ञान नेटवर्क बनाना:

रा.न.का.सं. ने हमेशा उत्कृष्टता के लिए प्रयास किया है, और हम समझते हैं कि रूपरेखा तैयार करना और ज्ञान-साझाकरण मंच विकसित करना व्यक्तिगत क्षमता और संस्थागत क्षमता को बढ़़ाने के लिए पर्याप्त नहीं है । निरंतर विकसित हो रहे शहरी क्षेत्र की जरूरतों और मांगो को पूरा करने के लिए क्षमता निर्माण को एक सतत प्रक्रिया बनानी होगी। हमने हैंडहोल्डडिंग, हैंड्स-ऑन ट्रेनिंग, टूलकिट, पीयर-टू-पीयर नॉलेज एक्सचेंज, देखकर सीखने और सलाह के माध्यम से लंबे समय से शहरों, राज्यों और संसाधन व्यक्तियों /संस्थानो की क्षमता निर्माण का समर्थन किया है। हमारे लंबे समय के अनुभव और आउटरीच को देखते हुए, हम ‘क्षमता ग्रिड’ बनाने के इन प्रयासों को ओवरले और आत्मसात कर रहे हैं ताकि प्रभावी शासन के लिए सामान्य दक्षताओं में निरंतर वृद्धि सुनिश्चित हो सके और साथ ही विशिष्ट आवश्यकताओं जैसे अभिनव वित्तपोषण, जलवायु लचीलापन आदि के लिए अनुकूलित उपकरण प्रदान किए जा सकें। हम एक ऐसी संस्कृति का पोषण करने की उम्ममीद करते हैं जो नेतृत्व, रचनात्मकता और सीखने की उत्सुकता को बढ़़ावा देती है। रा.न.का.सं. ने भारतीय शहरों के लिए एक दूसरे से और बाकी शहरी पारिस्थितिकी तंत्र से सीखने के लिए एक सहयोगी नेटवर्क बनाने के लिए राष्ट्रीय शहरी शिक्षण मंच बनाया है। हम मॉड्यूलर दृष्टिकोण अपनाते हैं जो सीखने की क्षमता को समझने और बढ़़ाने में आसान हैं, जैसे कि स्वच्छता क्षमता निर्माण प्लेटफ़ार्म पर हमारे प्रशिक्षण मॉड्यूल। रा.न.का.सं. ने आ. और श.का.मं. के लिए एकीकृत क्षमता निर्माण कार्यक्रम (आईसीबीपी) का समन्वय किया, जो राष्ट्रीय शहरी मिशनों के हिस्से के रूप में देश भर के 4000 से अधिक कस्बों और शहरों तक पहुँचा। हमारे सिटीज (सिटी इन्वेस्टमेंट्स टू इनोवेट, इंटीग्रेट एंड सस्टेन) प्रोग्राम के माध्यम से, हम तकनीकी के साथ-साथ वित्तीय सहायता के माध्यम से शहरी बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को लागू करने में चुनिंदा शहरों का सहयोग करते है।

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भावी अग्रणियों का निर्माण

भावी अग्रणियों के निर्माण के लिए शहरी क्षेत्र में युवा प्रतिभाओं के विकास एवं सतत शहरी विकास को आगे बढ़ाने के लिए चैपियन बनाना:

रा.न.का.सं. दुनिया को बदलने के लिए युवाओं की शक्ति में विश्वास करता है और शहरी क्षेत्र को नई सोच की जरूरत है। हम इस व्यापक रूप से प्रतिभाशाली यद्यपि अक्सर उपेक्षित मानव पूंजी का पोषण करने के लिए प्रतिबद्ध हैं जो हमारे देश में बहुतायत में है। हम कई पहलों और कार्यक्रमों के माध्यम से युवाओं के साथ जुड़ रहे हैं और उन्हें शहरी क्षेत्र में बदलाव लानेवाले बनने के लिए तैयार कर रहे हैं। मौजूदा कौशल अंतराल को दूर करने के लिए, हम युवाओं को शहरीकरण की विभिन्न चुनौतियों के बारे में उन्मुख करते हैं और उन्हें इस क्षेत्र में करियर के कई अवसरों से अवगत कराते हैं। वे जो नवाचार और उद्यम लाए हैं, यह साबित करता है कि अभी इन भविष्य के शहरी अग्रणियों को विकसित करना कितना आवश्यक है। रा.न.का.सं. अपनी विभिन्न पहलों और विशेष फैलोशिप और कार्यकर्मो के माध्यम से युवाओं के साथ जुड़़ा हुआ है। हमारा ‘यूथ फ्यूचर्स’ प्रोजेक्ट विशेष रूप से भारत और ब्राजील में युवाओं के लिए कौशल निर्माण और आजीविका के अवसरों को देखता है। दिल्ली के लिए मास्टर प्लान तैयार करने के दौरान जनभागीदारी की पहल के तहत हमने 5 युवा सभाओं का आयोजन किया और दिल्ली के युवाओं से बहुत उपयोगी सुझाव और अंतर्दृष्टि प्राप्त की। इंडिया स्मार्टसिटी फैलोशिप कार्यक्रम के माध्यम से हमने 120 उज्ज्वल युवा पेशेवरों को प्रशिक्षित किया है और उनमें से उन्होंने शहरों के लिए 35 परियोजनाएँ विकसित की हैं। हमारे एनयूडीएम फेलो देश भर के 20 राज्यों में शहरी विकास विभागों, एसपीवी और बुनियादी ढांचा विकास एजेंसियों में काम करते हैं। रा.न.का.सं. ने आ. और श. का. मं. और कई प्रमुख भारतीय शैक्षणिक संस्थानों के साथ मिलकर 'स्मार्ट सिटीज एंड एकेडेमिया टुवर्ड्स ऐक्शन एंड रिसर्च: SAAR' तैयार किया, जो परियोजनाओं में सहयोग करने के लिए संस्थानों और प्राथमिक शहर मिशनों के लिए एक ऑनलाइन हब है।

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साझेदारी

सहयोगी सोच, प्रचार-प्रसार और कार्रवाई सुनिश्चित करने के लिए कार्यनीतिक गठजोड़ और साझेदारी को बढ़़ावा देना:

स्थानीय साझेदारों और साथ ही साथ दुनिया भर के संगठनों के साथ काम करते हुए, रा.न.का.सं. शहरी संवाद को बढ़़ाने, समाधानों को आवश्यकता से जोड़ने और नवाचार को बढ़़ावा देने के लिए विचारों और ज्ञान के आदान-प्रदान के लिए प्रतिबद्ध है। बहु-स्तरीय, बहु-क्षेत्र, बहु-शहर सरकार और गैर-सरकारी कार्यकर्ताओं के मजबूत गठबंधन या नेटवर्क सामूहिक विचार और कार्रवाई के लिए प्रभावशाली हैं और सार्वजनिक एजेंसियों और तीन स्तरों के बीच सहयोगी शासन को बढ़़ावा देते हैं। हम सफल कार्यक्रमों से सीखकर अच्छी प्रथाओं को दोहराने और विस्तार को प्रोत्साहित करते हैं, इस प्रकार उन प्रयासों और संसाधनों को बचाते हैं जो अप्रयुक्त समाधानों के साथ प्रयोग करने में लग जाते। रा.न.का.सं. विचारों के क्षैतिज और लंबवत अभिसरण को सुविधाजनक बनाने के लिए सार्थक संबंध बनाने की दिशा में काम करता है। हम संवाद को जीवंत और प्रासंगिक बनाए रखने के लिए काफी प्रयास करते हैं और आदान-प्रदान को आसान बनाने और कम से अधिक हासिल करने के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग करते हैं। रा.न.का.सं. ने विविध हितधारकों के बीच भारी मात्रा में संवाद उत्पन्न किया है जो शहरों, नागरिक समाज और शैक्षणिक नेटवर्क के माध्यम से व्याप्त है। कई नेटवर्क का हिस्सा होने के अलावा, हम 62 संस्थागत भागीदारों और 126 शहरों के साथ सिटी क्लाइमेट एलायंस नेटवर्क और 30 शहरों द्वारा सब्सक्राइब किए गए रिवर सिटी एलायंस का प्रबंधन करते हैं। रा.न.का.सं. ने आ. और श.का.मं. और कई प्रमुख भारतीय शैक्षणिक संस्थानों के साथ, सार-5(SAAR-5) तैयार किया, जो परियोजनाओं पर सहयोग करने के लिए संस्थानों और प्राथमिक शहर मिशनों के लिए एक ऑनलाइन हब है।

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