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दिव्यांगता समावेशन पर तीन दिवसीय कार्यशाला

Description :

संदर्भ विश्व स्वास्थ्य संगठन का अनुमान है कि एक अरब से अधिक लोग यानि विश्व की लगभग 15% आबादी किसी न किसी रूप में दिव्यांगता का अनुभव करती है। इस कारण से, सतत विकास लक्ष्यों में, कई प्रकार से शिक्षा, विकास और रोजगार, असमानता, मानव बस्तियों तक पहुंच (आवास प्रबंध) और डेटा संग्रह तथा समाज में कमजोर लोगों को सशक्त बनाने के लिए एसडीजी के निगरानी से संबंधित क्षेत्रों पर स्पष्ट रूप से चर्चा की गयी है। इस संदर्भ में, राष्ट्रीय नगर कार्य संस्थान, बेसिक परियोजना के माध्यम से, इन असमानताओं को दूर करने और सुचारु रूप से शहरी एजेंडे में शामिल करने की पहल कर रहा है। यूके सरकार के एफ.सी.डी.ओ. के सहयोग से राष्ट्रीय नगर कार्य संस्थान (रा.न.का.सं.) में सुलभ सुरक्षित समावेशी भारतीय शहरों का निर्माण (बेसिक) परियोजना विकसित किया गया है। कार्यक्रम की शुरुआत माननीय मंत्री श्री हरदीप सिंह पुरी की अध्यक्षता में सम्पन्न मंत्रणा के दौरान सामने आई अनुशंसाओं पर की गई थी। सितंबर 2018 में सम्पन्न मंत्रणा के दौरान दिव्यांग व्यक्तियों (पी.डब्ल्यू.डी.) के लिए उपाय और नीति संबंधी अनुशंसाएँ तैयार करने के लिए विशेषज्ञों से पूरी जानकारी मांगी गयी थी। भारतीय शहरों और व्यवसायियों की क्षमता के निर्माण में बेसिक का मुख्य लक्ष्य उन्हें दिव्यांग व्यक्तियों की जरूरतों के प्रति संवेदनशील और उत्तरदायी बनाना है। बेसिक शहरी विकास के ढांचे में "पहुंच, सुरक्षा और समावेशिता" के पहलुओं को बढ़ावा देने का प्रयास करता है। पिछले दो दशकों से अंतर्राष्ट्रीय दिव्यांगता दिवस, संयुक्त राष्ट्र (यूएन) दिव्यांग व्यक्तियों के सामने आने वाली बाधाओं को कम करने के लिए विभिन्न क्षमताओं में काम कर रहा है। " अंतर्राष्ट्रीय दिव्यांग व्यक्ति दिवस" प्रतिवर्ष 3 दिसंबर को मनाया जाता है, जिसकी घोषणा 1992 में संयुक्त राष्ट्र महासभा के प्रस्ताव 47/3 द्वारा की गयी थी । इस दिवस को मनाने का उद्देश्य विकलांगता से जुड़ी समस्याओं की समझ को बढ़ावा देना और दिव्यांग व्यक्तियों की गरिमा, अधिकारों और कल्याण के लिए समर्थन जुटाना है। इस दौरान यह भी जिज्ञासा रहती है कि राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक जीवन के हर पहलू में दिव्यांग व्यक्तियों को संघटित कर प्राप्त जागरूकता के माध्यम से लाभ उठाया जाए । कोविड -19 महामारी से सार्वजनिक स्वास्थ्य, पर्यावरण, अर्थव्यवस्था, दिव्यांग व्यक्तियों के सामने आने वाली चुनौतियों के बीच संबंध मजबूत हुए हैं और भवनों और शहरों की योजना कैसे बनाई गई है, यह गौण हो गया गया है। इसकी गूंज संयुक्त राष्ट्र द्वारा अपनाई गई इस वर्ष की थीम "बिल्डिंग बैक बेटर: टुवर्ड ए डिसेबिलिटी-इनक्लूसिव, एक्सेसिबल एंड सस्टेनेबल पोस्ट-कोविड-19 वर्ल्ड" में उठी है। यह दिवस पूरे भारत में संबंधित सरकारी विभागों, दिव्यांग व्यक्तियों के संगठनों और अन्य हितधारकों द्वारा मनाया जाता है। मात्र दिवस मनाने से कहीं अधिक , इस दिवस का उत्सव अंतरराष्ट्रीय समुदाय के प्रति एकजुटता और यू एन कन्वेंशन ऑन राइट्स आफ प्रसन्ज विद डिसेबीलीटिज (यू.एन.सी.आर.पी.डी.) के प्रति भारत की प्रतिबद्धता का द्योतक है। इस महत्वपूर्ण अवसर पर, बेसिक परियोजना ने " दिव्यांगता समावेशन" पर तीन दिवसीय कार्यशाला आयोजित करने की योजना बनाई है। कार्यशाला शहरी स्थल और डिजाइन में समावेशन लाने, प्रतियोगिताओं के लिए खुले आमंत्रण देकर युवाओं और नागरिकों के साथ जुड़ने तथा सम्बद्ध विषयों पर रा.न.का.सं. द्वारा विकसित ज्ञान उत्पादों के प्रमोचन के माध्यम से जागरूकता फैलाने के व्यावहारिक तरीके खोजने के लिए विशेषज्ञों के साथ विशेषज्ञ व्याख्यान और वेबिनार का आयोजन कर रही है। हम क्या हासिल करना चाहते हैं? दिव्यांगता दिवस समारोह का उद्देश्य दिव्यांग लोगों के प्रति जन जागृति, समझ और अपनत्व बढ़ाना और उनकी उपलब्धियों और योगदान का गुणगान करना है। कार्यशाला का उद्देश्य जनता के साथ जुड़ना और युवा पेशेवरों, छात्रों, यूएलबी अधिकारियों, शहरी व्यवसायियों और अन्य हितधारकों के बीच जागरूकता को बढ़ावा देना और उन्हें दिव्यांग व्यक्तियों की चिंताओं के बारे में संवेदनशील बनाना है। इसका इरादा एक कार्योन्मुख दृष्टिकोण प्रस्तुत करने और दिव्यांगता को शहरी कार्यसूची की मुख्यधारा में शामिल करने के नवीन वरन व्यावहारिक तरीकों पर चर्चा करना भी है। पहला दिन https:// primetime.bluejeans.com/a2m/register/rwapufeb दूसरा दिन https:// primetime.bluejeans.com/a2m/register/kjuhwpqa तीसरा दिन https:// primetime.bluejeans.com/a2m/register/ ddqdazek